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8 फुट की गणपति प्रतिमा , 1008 लड्डुओं का लगता हे भोग

घाणेराव  । कस्बे की ऐतिहासिक मन्दिर रिद्धि सिद्धि गणपति मन्दिर मे गणेश चर्तुर्थि स्थापना दिवस पर 8 फुट की गणपति  प्रतिमा जो रिद्धि सिद्धि सहित पुरे भारत मे विख्यात हे  क्योकि रिद्धि सिद्धि सहित गणपति  प्राचीन मन्दिर के नाम से  विख्यात हे। जहा पर 1008 लड्डुओं का भोग लगया हे वही यहा पर कुँवारे युवक युवतियां मन्नत मागने पर उनकी मन्नत जल्द पूरी होती हे ।
गजेन्द्र पूरी रिद्धि सिद्धि गणपति मन्दिर के
Godwad ki aawaj
पुजारी ने जानकारी देते हुए बताया की  रिद्धि सिद्धि गणपति मन्दिर सदियो पुराना मन्दिर हे यहा पर जोधपुर दरबार जसवंत सिंह के समय पर  सन्त मोतिगिरि ने तपस्या कर योग सिद्धि के चमत्कार से जोधपुर से यहा प्रतिमा लाई गई जो विशेषता की बात यह हे की यह प्रतिमा मानव कद 8फुट की रिद्धि सिद्धि सहित गणपति की प्रतिमा हे जो ऐसी जो  पुरे राजस्थान मे ऐसी प्रतिमा कही नही हे।सगमरमर के पत्थर पे काबुली कारीगरों के द्वारा तरासा गया हे ।जोधपुर दरबार जसवंत सिंह के राज दरबार के समय से इस मन्दिर को गुरु द्वारे के रूप में नाम मिला ।इस प्राचीन मन्दिर को 2006 के करीब तारा चन्द देसूरी ने अपने पुत्र विकलांग होने पर मन्नत मागने पर उसके पुत्र को ठीक होने पर पुरे मन्दिर का जीर्णोद्वार करवाया गया।

1008 लड्डुओं का लगता हे भोग
रिद्धि सिद्धि मन्दिर को हर वर्ष गणेश चतुर्थी के अवसर पर 1008 ।मोतीचूर  लड्डुओं को लगता हे भोग।

25वर्षो से जल रही हे अखण्ड ज्योत
इस मन्दिर में लगातार 25 वर्ष से अखण्ड ज्योत लग रही हे जो हर समय 24 घण्टे जलती रहती हे ज्योत।

जीवित समाधि भी यहा
इस मन्दिर के प्रथम महत मोतिगिरी जो योग सिद्धि के महारथ थे वे तपस्वी व चमत्कारी भी थे जो यहा पर उन्होंने जीवित समाधि ली थी जो आज भी उनके चमत्कारो को लोग याद करते हे जो भी श्रद्धालु यहा पर आते हे उनकी समाधि स्थल पर जरूर हाजरी लगाते हे।

कुँवारे लड़के लड़कियो की मन्नत से होती हे शादी।
इस मन्दिर पर सबसे बड़ी विशेषता की बात यह हे की इस मन्दिर मे दर्शन करने को जो भी कुँवारे लड़के लडकिया आते हे तो उनके द्वारा शादी की मन्नत मागने पर उनकी मन्नत जल्दी पूरी होती हे और जल्द उनकी शादी हो जाती हे।

रिद्धि सिद्धि सहित 8 फिट की हे गणपति की प्रतिमा
इस मन्दिर सबसे ज्यादा प्रचलित इसी कारण हे की इस मन्दिर में रिद्धि सिद्धि सहित गणपती की 8फिट की प्रतिमा हे जो पुरे राजस्थान मे ऐसी प्रतिमा कही और नही हे जिससे पुरे भारत प्रचलित हे यह मन्दिर।

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